राजस्थान का टूर
तभी शिखर थोड़ा सोचते कहता है, "ना यार सीरियसली कोई मुझे बताए गा कि वास्तव में भूत होते है क्या ?"
तब कपाली बड़े बड़े दांत दिखाते हुए बोला
"हां होते है तुझे देखने है चल मेरे साथ मै तुझे दिखाता हूं। मेरा तो बचपन ही इन झाड़ फूंक और तंत्र मंत्र मे बीता है हमारे तो दादा परदादा पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे है भाई हमे तो ये भूत भगाने वाली विद्या विरासत मे मिली है।"
शिखर ने कपाली को देख कर हसते हुवे कहा ,"मुझे भूत भगाने वाली विद्या नही देखनी मुझे सच मुच के भूत से मिलना है।"
तुझे लगता हैं हमारी विद्या बेकार है कपाली ने बुरा मानते हुवे कहा,..
उन दोनों की बहस चल रही थी, इससे पहले के कपाली वहाँ से उठ कर चला जाता तान्या बीच मे ही बोली ,"चलों यार आज बुधवार है कल से वीकेंड्स शुरू हो रहा है। दो छुट्टी वैसे ही और फिर शनिवार और रविवार चार छुट्टियां है चलो कही घुम कर आते है।" तुम सबका क्या कहना है?
सबने एक दूसरे को देखा और सारे तान्या की हां मे हां मिलाते है। अचानक से शिखर बोला,"चलों यार क्यों ना राजस्थान के खंडहरों को एक्सप्लोर किया जाए हो सकता है वहीं भूत से मिलना हो जाए।
मुझे नहीं लगता ये सही आईडिया है तान्या ने जल्दी से कहा..
लेकिन शिखर और कपाली उसको घूरने लगे थे इसलिए उसने आगे कुछ नहीं कहा…
ओके चलो फिर… तान्या ने कंधे उचकाते हुवे कहा,
चारों इस बात से सहमत हो जाते है के हमको राजिस्थान चलना है ।
और कल सुबह सभी शिखर के घर बैग पैक करके मिलने का वादा करके अपने अपने घरों की ओर चल देते है।
तान्या और सोहन दिल्ली मे थोड़ी सी दूरी पर रहते थे, उनके घर आस पास थे और बचपन से एक ही स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की थी तान्या के पापा एक बड़े बिल्डर थे और सोहन के पापा की कागज़ की फैक्ट्री थी। इसलिए कभी उनको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती थी, वो लोग जरुरत से ज्यादा खर्च करते थे जिससे कॉलेज की कैंटीन पर तो उनका उधार बहुत हों जाता था लेकिन कभी कोई उनको मना नहीं करता था क्योंकी सब उनको अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलादे बोलते थे। दोनों के पास अपनी खुद की बड़ी बड़ी गाडियां थी। जिनसे वो एक दूसरे से रेस लगाते थे, वैसे तान्या मन ही मन बचपन से ही सोहन को पसन्द करती थी पर कभी जुबान से प्यार का इजहार नही किया।
सुबह फ़ोन पर यह तय हुआ कि सोहन अपनी इनोवा लेकर आयेगा वो तान्या को लेता हुआ शिखर के घर पहुंचेगा और कपाली जो होस्टल मे रहता है वो आटो से शिखर के घर पहुंचेगा क्यों कि होस्टल शिखर के घर से अपोजिट था और उन्हें राजस्थान जाने वाली रोड़ पकड़नी थी सो सब अपने अपने हिसाब से आ रहे थे कपाली को इस बात पर गुस्सा आया की वो अपने साथ खाने का कुछ भी नहीं ले जा रहा था लेकिन शिखर ने उसको समझा कर शांत कर दिया था।
शिखर अपने घर मे सबसे बड़ा था। उसके पिताजी की किराने की दुकान थी तीन बहन भाई थे, उससे छोटी दो बहने थी। और वो दोनों पहने उस पर जान छिड़कती थी। वो उनकी आंखों का तारा था, जब शिखर ने उनको बताया की वो कई भूतिया जगह पर जायेंगे उसके घर के लोग इस बात बहुत परेशान हों गये, वो पहले ही उसकी आदतों की वजह से परेशान रहते थे कि शिखर हमेशा अजीब सी इच्छाएं करता रहता था । कभी कोई एक्सपेरिमेंट कभी कोई बचपन में एक बार उसने शक्तिमान बनने के लिए अपने फर्स्ट फ्लोर से झलांग भी लगा दी थी, बस अच्छा ये हुआ के वो एक झाडी में गिरा था, और उसके बाद दो महीने तक स्कूल नहीं जा पाया था ।
और आजकल भूत देखने की इच्छा दिमाग मे चढ़ी हुई थी।
सोहन और तान्या तो शिखर के यहाँ पहले ही पहुंच गये थे पर अभी कपाली नही पहुंचा था इसलिए सभी उसका इंतजार कर रहे थे।
शिखर ने गुस्सा होते हुवे तान्या से कहा,"अरे यार ! ये कपाली मुझे राजस्थान के खंडहरों में भूत के दर्शन करवा देगा के नही।
सोहन शिखर के बेड पर बैठा हुआ था, वो बोला ,"तू उसका बैकग्राउंड नही जानता क्या। वो भील जनजाति से सम्बंध रखता है। उसका पूरा खानदान झाड़ फूंक, भूत प्रेत से साक्षात्कार करता रहता है।
एक बार मुझे बता रहा था कि बहुत पहले उसकी मां प्रेत बाधा से पीड़ित हो गयी थी एक बहुत ही भारी प्रेत ने उसकी मां को जकड़ लिया था तब इसके पिता ने ऐसा इंतजाम किया था कि अब वो प्रेत इनके पिताजी का गुलाम हो गया है। बहूत पहुंचे हुए है ये लोग। खानदान के सारे गुण कपाली मे भी आ गये है। बस एक बात मुझे उसकी समझ नही आती । वह कह रहा था कि उसे कभी कभी अजीब से दृश्य दिखाई देते है जैसे बड़ा सा दरबार उसमे गायन और नृत्य हो रहा है और उसके पैरों मे घुंघरू बंधे है। बहुत धुंधला सा दिखाई देता है उसे सब। लेकिन पता नहीं ये सच बताता है यां ऐसे है बोलता है..
देखो उसके खानदान को देखा जाये तो बात सच ही लगती है, तान्या ने कहा..
लेकिन फिर मुझे ये लगता है ये सब सच कैसे हों सकता है?
तभी उन तीनों को बाहर से कपाली के प्रणाम करने की आवाज़ आती है, वो बाहर किसी से मिल रहा था.. वो तीनों चुप हों जाते हैं,
"लो भी शैतान को याद किया और शैतान हाजिर।" ये कहता हुआ कपाली ने कमरे मे प्रवेश किया जहां ये सब बैठे थे।
क्या?
मुझे लगा तुम लोग मेरी ही बात कर रहें होंगे और गुस्सा हों रहें होंगे,... कपाली ने सबको देखते हुवे कहा,
बिल्कुल तान्या ने कहा,
उसे देखते ही सब उठ कर चलने की तैयारी करने लगे। सबने सामान उड़ना शुरू क्या, तान्या अपने साथ दो बैग लायी थी जिसकी वजह से शिखर ने उसका मजाक उड़ाया और उससे एक बेग वहीं खाली करा कर दोनों बेगो का एक बेग बनवा दिया, तान्या गुस्से में तुनक रहीं थी, क्योंकी उन तीनों ने उसके सारे कपडे ऐसे ही भर दिए थे,.. सारा सामान गाड़ी की डिक्की मे डालकर सभी चल पड़े अपने सफर पर । गाड़ी सोहन चला रहा था। जैसे ही देहली से बाहर निकले तब थोड़ा मूड लाइट हुआ सब का।
थोड़ी ही देर में तान्या सब भूल गयी की वो गुस्सा थी, और बोली ,"चलो यार कुछ मनोरंजन किया जाए। चलो अंताक्षरी खेलते है। वे थोड़ी देर अंताक्षरी खेलते हैं वो खेलते हुवे हाइवे पर चलें जा रहें थे, कई बार सोहन को गाड़ी चलाने में मुश्किल होती थी क्योंकी तान्या जो आगे सोहन के साथ बैठी हुयी थी वो उसको हिला कर उससे गानों का पूछती.. जिससे सोहन डगमगा जाता था ,
जब सोहन से बर्दाश्त नहीं हुआ वो बोला,"मै नही खेलता इससे बढ़िया तो बाहर का नजारा ही देख लो कितना सुहाना मौसम हो रहा है और तुम ये पिछले दो घंटे से ये सडी सी अंताक्षरी खेल रहे हो। "ये कह कर सोहन ने मौज मे आकर गाड़ी का म्यूजिक तेज कर लिया।
बाहर हल्की हल्की फुहार पड़ने लगी थी । सभी मौसम का मजा ले रहे थे। गाड़ी अपनी स्पीड पर मरू भूमि की ओर भागी जा रही थी । अचानक से तान्या ने कहा,"रोको गाड़ी।
सभी का ध्यान उसकी ओर चला गया कि इसने अचानक से गाड़ी रोकने को क्यों कहा।
Anjali korde
10-Aug-2023 09:46 AM
Fantastic
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Babita patel
04-Aug-2023 05:47 PM
Nice
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आँचल सोनी 'हिया'
20-Mar-2023 11:59 PM
Rochak
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